Internet कैसे काम करता है? जाने इंटरनेट की कार्य करने की प्रक्रिया।

इंटरनेट के बारे में हम सभी जानते है लेकिन Internet कैसे काम करता है इस बारे में बहुत कम लोग जानते है. Internet का इस्तेमाल करके हम दुनियाभर की वेब्सीटेस  में मौजूद जानकारी को अपने फ़ोन या कंप्यूटर में आसानी से प्राप्त कर सकते है. ऐसी-ऐसी जानकारी हम जान सकते है जो पहले हमारे लिए जान पाना नामुम्किन थी पर आज Internet के इस्तेमाल से हम उस जानकारी को बड़ी आसानी से जान सकते है.

आज हम आपको उन सभी technologies और infrastructure के बारे में जानकारी देने जा रहे है जिनकी वजह से Internet चलता है. हालांकि इस सब को जानना थोड़ा मुश्किल है, फिर भी हम आपको इस पोस्ट में इससे आसान तरीके से समझने का प्रयास करेंगे. तो आई जानते है इंटरनेट कैसे काम करता है?

इंटरनेट कैसे काम करता है? 

इंटरनेट कैसे काम करता है इस प्रोसेस को समझने के लिये हमें शुरुवात से शरू करना होगा। यह तो हम सभी जानते है, Internet दुनियाभर में मौजूद computers का एक ही एक सबसे बड़ा नेटवर्क है. मतलब सभी कंप्यूटर जो आपस में जुड़े हुए है वह इंटरनेट का ही एक उदहारण है। यहाँ कंप्यूटर का मतलब किसी एक कंप्यूटर से नही बल्कि उन सभी प्रकार Devices से है जैसे हमारा mobile व tablet ये सभी शामिल है.

Internet की शुरुवात 1960 में हुई, जब जे.सी.आर लिकलीडर (J.C.R Licklider) ने अंतरजाल नेटवर्क (Intergalactic Network) के विचार को लोकप्रिय बनाया. इसके बाद से ही computer scientists ने पैकेट स्विटचिंग जो कि इलेक्ट्रॉनिक डेटा को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने की एक विधि है।

वैसे Internet कब आया ये सही से कोई नहीं जनता. पर 1960 में U.S. Department of Defense द्वारा funded एक research project ‘APRANET’ की शुरुवात की गई. जिसमें किसी एक network पर कई computers को आपस में connect करके उनके बीच संपर्क कराया जा सकता था.

इसी से ये तकनीक मिली जिससे हम devices के बीच एक कम्युनटिकाशन  स्थापित कर पाए. इसी लिए Internet बहुत सारे computers को एक साथ जोड़ने का एक तरीका है जिस की मदत से वे आपस में सूचना का आदान-प्रादन कर पाए. मेरा ये web page जहाँ आप ये जानकारी पढ़ रहे है ये भी किसी Server में store है.

Cables और Towers

आपके दिमाग में ये सवाल उठा रहा होगा कि इनफार्मेशन एक जगह से दूसरी जगह तक कैसे पहुंचा जाती है. सब होता है ईथरनेट केबल्स, वायरलेस रेडियो कनेक्शन और सेटेलाइट के माध्यम से. जब भी कोई दो computers को आपस में communicate करना होता है तो उन्हें एक-दूसरे से connect करना होगा.

उन्हें आपस में जोड़ने के लिये या तो आप उन्हें ईथरनेट केबल से या वाई-फाई या ब्लूटूथ सिस्टम के द्वारा जोड़ सकते है. जब भी कभी आप जमीन के नीचे cables बिछी हुई देखते है या अपने आस-पास phone towers देखते है उन्ही टावर्स और केबल की मदद से ही आपका computer या mobile दुनियाभर में मौजूद दूसरे devices से connect है.


ISP (Internet Service Provider)

ISP या Internet Service Provider के बारे में आप नहीं जानते है आप को बता जो आपको इंटरनेट चलने की सुविधा उपलब्ध करते है. उदाहरण के लिये BSNL, Airtel, Jio, Vodafone और Idea ये सभी ISP companies providers है. 


Internet एक ऐसा network जहां पर लाखो computers आपस मे जुड़कर एक-दूसरे से communicate करते है और information का exchange करते है. अब अगर आपको Internet से पर मौजूद उपकरणों से जानकारी चाहिये तो आपको इस network से जुड़ना पड़ेगा. इस Network से जुड़ने के लिये नेटवर्किंग और रॉउटिंग उपकरणों की जरूरत पड़ती है. ISPs के पास इन सभी उपकरणों और टेलीकम्यूनिकेशन लाइन की जिम्मेदारी होती है. cables line बिछाना जगह-जगह पर mobile towers लगाना और इनकी देखभाली का सारा जिम्मा ISPs के पास ही होता है. इसलिये ही वो आपसे पैसा लेते है.

Servers और Clients

Internet कैसे चलता है इसे समझने के लिये Servers और Clients इन दो शब्दों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है. Clients मतलब ग्राहक इसमे वो सभी computer, smartphone और अन्य device जिसमे आप internet चलाते है वो शामिल होते है. Server वो कंप्यूटर है जो information को अपने अंदर store करता है। router जो इन दोनों के बीच एक कनेक्टिंग डिवाइस के रूप में कार्य करते है.इन सब को आपस मे जोड़ने का काम transmission line का होता है जो भौतिक हो सकती है, जैसे cables और fiber optics के मामले में, या वे wireless signals हो सकते है, जैसे towers और satellites से निकलने वाले. इंटरनेट को चलाने में राउटर और केबल्स internet की backbone के रूप में कार्य करते है. जिन्हे ISP (Internet Service Provider) द्वारा प्रदान किया जाता हैं।

Server कई प्रकार के होते है, Normal document को store करने के लिये file server, आपकी emails के लिये mail server, और जो web pages को store करते है, उन्हें web server कहा जाता है. जब भी आप Browser में किसी site को open करते है, तो वे एक server में store होती है. आपका computer और server, Internet network के जरिये connect है इसलिए आप website को access कर पाते है.

IP Address

एक और सोचने वाली बात Internet पर तो करोडो devices जुड़े हुए है फिर computer उस डाटा को कैसे प्राप्त करता है जो यूजर को चाहिए.इसका सरल जवाब है हर डिवाइस का यूनिक एड्रेस Internet पर connected हर computer चाहे वो server हो, router हो या कोई भी डिवाइस सबका एक unique address होता है, जिसे हम IP Address कहते है. ये बिलकुल हमारे Home address जैसा है सब का IP Address अलग-अलग.

IP Address चार नम्बरों की श्रंखला से बना एक पता है, जो कुछ ऐसा ‘192.168.1.255’ दिखाई देता है. आपको website का IP Address पता है तो आप सिर्फ वो आईपी डालकर वेबसाइट एक्सेस कर सकते है. पर किसी भी इंसान के लिये इन numbers को याद करना मुश्किल है. प्रत्येक IP address को एक नाम दिया जाता है, जिसे Domain Name कहा जाता है.

उदाहरण के लिये www.google.com, www.facebook.com और www.youtube.com ये सब domain name है. मगर computers human language को नही जानते वो सिर्फ computer language को समझते है. आप जब भी www.google.com लिखते है कंप्यूटर को इस site का IP Address क्या होगा. इसके लिये इस्तेमाल होता है Domain Name System एक विकेन्द्रीकृत database है। Domain Name System में प्रत्येक domain name के साथ उसके IP address की mapping की जाती है. आप जब भी आप कोई site खोलते है तो एक request सबसे पहले DNS के पास जाकर उस वेबसाइट का IP Address पता लगाती है. तब वो request server को जाती है.

Protocols

कंप्यूटर कैसे काम करता है अगर आप यह जानते है तो आप ये भी जानते होंगे कि, कंप्यूटर binary number system के आधार पर काम करता है. binary number 0 और 1 से मिलकर बना होता है.0 या 1 को 1 bit कहते है. 8 bit मिलकर 1 byte, 1.024 byte मिलकर 1 KB, और 1024 KB मिलकर 1 MB बनाते है. Computers 0s और 1s की form में data को store करते है.

Bit & Byte क्या है इसे समझे

Computers में जो भी data send और receive हो रहा है, वो 0 और 1 की form में ही होता है. उदाहरण जब कोई भी इंसान एक website को खोलता है तो किसी न किसी एक server पर store होती है. सर्वर आपको वेबसाइट की फाइल zero और ones के संग्रह में भेजता है, जिनको Packets कहा जाता है. एक packet का size लगभग 1000 से 1500 bytes तक हो सकता है.

Network पर और भी बहुत सारे computers है, जो दूसरे server से file receive कर रहे हो सकते है जिस वजह से network पर traffic बहुत अधिक होता है. ऐसे में packets को device तक पहुचने के लिये different route ले सकते है. आपके जरिये खोली गई साइट की फाइल कई packets में आप के डिवाइस तक आ रही है और वो भी अलग-अलग मार्ग से. ऐसा में वे सभी आपके डिवाइस तक पहुँचे, इसके लिए Protocols का इस्तेमाल होता है.

Protocols कुछ rules को establish करते है, ताकि packets उनकी सही जगह तक सही सलामत पहुंच पाए. इस लिए इन्हें नियमों का एक समुह भी कह सकते है, जो ये तय करता है कि computers को network पर कैसे communicate करना है. जब सभी packets अपनी destination तक पहुच जाते है, तो protocols उन्हें reassemble कर देती है. और आपके सामने वह site खुल जाती है.

Internet सिर्फ एक Network है, जिस पर unlimited devices जुड़ी हुई है. जिसके कारण वे आपस मे सूचना का संचार करती है.

संक्षेप में

Internet कैसे चलता है, इसके बारे में हमने अभी आपको संक्षिप्त में बताया आइये अब पूरी प्रकिया को एक उदाहरण से शॉर्ट में समझे:

  1. मेरी Web site तक पहुँचने के लिए आपको पहले अपने phone या computer को Internet से connect करना होगा.
  2. अब browser में मेरी Website का URL (www.Gyanbaba.in ) type किया होगा. या आप google पर search करके मेरी साइट पर आए हो.
  3. जैसा मैंने उप्पर आपको बताया कि हर एक web page किसी न किसी web server पर store है, तो जाहिर है उस सर्वर का एक unique IP address होगा.
  4. तो browser, DNS से contact करता है और उस URL के IP address का पता लगाता है. DNS को आप एक Directory समझे जिसमे हर साईट का नाम और नंबर होता है.
  5. अब browser को हमारे सर्वर का IP address पता है, तो वह उससे connect करने के लिए. आपकी request हमारे server को मिलती है.
  6. इसके बाद वो website की सभी files को कई टुकड़ों में बांट देता है, जिन्हें Packets कहा जाता है. जो server से आपके browser तक पहुँचते है.
  7. जब सभी packets अपनी destination तक पहुच जाते है, तो browser उन्हें reassemble करके आपके सामने हमारी Web site को open कर देता है.

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